अनदेखी या देखी?

अगर फुर्सत मिल गयी हो तो कुछ बोलु,
उसका दिल तोड़कर जाने से तुम ठीक तो हो, 
खाना ढंग से खाना शुरू तो कर दिया होगा, 
और घर में बैठकर काम से छुट्टी लेना भी बंद कर दिया हो तो, 
सुनोगे कुछ ऐसा,  
जो तुम रोज देखते हो, 
पर देख कर अनदेखा करते हो, 


बात कर रही हुँ,
उस जान कि, 
जो मांग रहा है बीख बिना कोई एहसान की, 
जिसे बीख नहीं चाहिए उसने ढूंढ लिया है रास्ता दूसरा, 
वो बेच रहा 10 रुपए का सामान सस्ता , 
जो 10 रुपय तुम उस waiter को दे रहे हो, 
कभी देकर देखो उस गरीब को, 
और महसूस करो उसी उस छोटी सी खुशी को, 
पूछकर देखो उस मासूम से "आज खाने में क्या खाया " या "कितने दिन से नहीं खाया "..
आसान नहीं होगा उसका जवाब सुन पाना, 
पर तुम सुन कर अनसुना मत करना, 
हंस कर मत टाल  देना कि झूठा है वो, 
उसकी मज़बूरी ने उससे इस सफर पे लाया, 
खुश हो जाएगा वो उस 10 की नोट  में, 
जो कभी फट जाता है तुम्हारे शर्ट की जेब में, 

देख कर अनदेखा ना करो, 
भविष्य है वो भी आने वाले कल का, 
चार पैसे देने से ना तुम गरीब होगे और ना वो अमीर, 
पर रहेगा सुकून।।

 MAKE INVISIBILS
......VISIBLE........

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