एक गलती।

तो बात करती हुँ उस बात की। 
जहाँ तुम गलत थे, और खतम कर दी थी मैंने ये कहानी बे बुनियाद की। 
वो गलती काफ़ी थी, खुदको तुमसे दूर करने की। 
वो गलती कि तुमने, तो क्यों भुगतूं मै बिना किसी बात की। 
ऐसे कहते थे कि , समझता हूँ मैं, 
समझता हुँ मैं,  तुम्हारी अनकही बात को। 
झूठ था वो, क्युकी अब जवाब नहीं। 
अब खुश हुँ मैं, क्युकी झूठ बर्दास्त नहीं। 

सीक्रेट human says:-

कि ज़ब वो था तम्हारे साथ, 
करता था बस तम्हारी बात, 
जहाँ उसका दिन,  शाम,  और रात तुम थी , 
जहाँ उसकी बातें सारी सच्ची थी, 
जहाँ खाई थी कसमें साथ कभी ना तोड़ने की 
जहाँ रोज़ एक नई उम्मीद आती  थी
हाँ माना  कि गलती करी  उसने , 
कुछ पल तुन्हे अकेला छोड़ कर, 
पर भूल गयी तुम उन पलों को जो बिताए थे,
एक गलती माफ़ करके उसे  अपना क्यों नहीं बना लिया 
याद करो उनको जो कसमें और यादें तुम  भूल गयी, 
बना कर देखो उससे अपना क्युकी वो दूर नहीं। 



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